जटिल कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाने की जरूरत : न्यायमूर्ति खन्ना

जटिल कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाने की जरूरत : न्यायमूर्ति खन्ना

November 12, 2024 Off By NN Express

नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सोमवार को पदभार ग्रहण करने के बाद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने अपनी प्राथमिकताएं बताते हुए जटिल कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाने समेत कई मुद्दों पर जोर दिया और कहा,  हमारे महान राष्ट्र के सभी नागरिकों को न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना हमारा संवैधानिक कर्तव्य है।

न्यायमूर्ति खन्ना ने एक बयान में कहा कि उनकी प्राथमिकताओं में लंबित मुकदमों से निपटना, मुकदमे से निपटने की व्यवस्था को सस्ता एवं सुलभ और जटिल कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाना शामिल हैं।

उन्होंने कहा, न्यायपालिका शासन प्रणाली का अभिन्न, फिर भी अलग और स्वतंत्र हिस्सा है। संविधान हमें संवैधानिक संरक्षक, मौलिक अधिकारों के रक्षक और न्याय के सेवा प्रदाता होने के महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपता है।

नागरिक केंद्रित एजेंडे के साथ उन्होंने अदालतों को सुलभ और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने के अपने दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उनका लक्ष्य एक आत्म-मूल्यांकन दृष्टिकोण अपनाना है जो अपने कामकाज में फीडबैक के प्रति ग्रहणशील और उत्तरदायी हो। मुख्य न्यायाधीश के बयान में कहा गया है कि नागरिकों के लिए निर्णयों को समझना और मध्यस्थता को बढ़ावा देना उनकी प्राथमिकता होगी।

उन्होंने आपराधिक मामलों के प्रबंधन पर केंद्रित सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसका उद्देश्य एक व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाकर मुकदमे की अवधि को कम करना और न्याय प्रदान करने की व्यवस्था को इस तरह से स्थापित करना है कि नागरिकों के लिए कानून की प्रक्रिया कष्टदायक न हो।

लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ का नेतृत्व करने में अपार सम्मान व्यक्त किया और कहा, समान व्यवहार प्रदान करने के संदर्भ में न्याय प्रदान करने की रूपरेखा के लिए सभी को सफल होने का उचित अवसर प्रदान करना आवश्यक है चाहे उनकी स्थिति, धन या शक्ति कुछ भी हो। ये हमारे मूल सिद्धांतों को चिह्नित करते हैं।

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, हमें सौंपी गई जिम्मेदारी नागरिकों के अधिकारों के रक्षक और विवाद समाधानकर्ता के रूप में हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। हमारे महान राष्ट्र के सभी नागरिकों को न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना हमारा संवैधानिक कर्तव्य है।