सीएम साय ने कांग्रेस पर लगाए जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप

सीएम साय ने कांग्रेस पर लगाए जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप

November 8, 2024 Off By NN Express

रायपुर । मुख्यमंत्री साय ने कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में पुनः आतंकवाद और अलगाववाद का अंधकारमय दौर वापस लाना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अनुच्छेद 370 और 35A को बहाल करने के नेशनल कांफ्रेंस के प्रस्ताव का समर्थन कर कांग्रेस ने राष्ट्रीय एकता को खंडित करने का प्रयास किया है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस की राजनीति राष्ट्रविरोधी है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि इस प्रस्ताव का समर्थन पाकिस्तान और देशविरोधी ताकतों को खुश करने के लिए किया गया है। उन्होंने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में विकास और शांति के पक्ष में खड़े भाजपा विधायकों को विधानसभा से बाहर निकाला गया, जबकि कांग्रेस-एनसी और पीडीपी जैसी पार्टियां क्षेत्र में आतंकवाद को पुनः सक्रिय करने के लिए कार्य कर रही हैं।

साय ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, अनुच्छेद 370 और 35A के काले दौर से बाहर निकलकर विकास की राह पर बढ़ रहा है। धारा 370 हटने के बाद वहां आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है, नागरिकों की मौतें घटी हैं और पर्यटन में वृद्धि हुई है। लेकिन कांग्रेस और अन्य दल इस शांति से परेशान होकर इसे पुनः संकटग्रस्त बनाना चाहते हैं।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को बहाल करते हुए विधानसभा चुनाव करवाए, और केंद्र ने 80 हजार करोड़ रुपये का विशेष पैकेज देकर क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा आरक्षण के विरोध में कदम उठाए हैं, और नेशनल कांफ्रेंस के घोषणापत्र का समर्थन कर समाज के विभिन्न तबकों के अधिकारों के खिलाफ कार्य किया है।

मुख्यमंत्री साय ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पारित प्रस्ताव में भले ही सीधे अनुच्छेद 370 और 35A का उल्लेख नहीं किया गया हो, लेकिन इसके पीछे का उद्देश्य वही है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के विधायकों ने इसे मौन समर्थन दिया, जो कि राज्य की जनता के साथ धोखा है।

साय ने इस प्रस्ताव को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि किसी भी विधानसभा के पास अनुच्छेद 370 और 35A को पुनः स्थापित करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह केवल संसद और सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है।