लालू और उनके दोनों बेटों को जमीन के बदले नौकरी मामले में मिली जमानत

लालू और उनके दोनों बेटों को जमीन के बदले नौकरी मामले में मिली जमानत

October 7, 2024 Off By NN Express

नई दिल्ली । जमीन के बदले नौकरी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनके दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू केस ने सोमवार को तीनों को जमानत दे दी। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने आरोपियों को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर राहत दी। कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि आरोपियों को जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया था। मामले की अगली सुनवाई 25 अक्तूबर को होगी।

आठ आरोपियों की पेशी हुई

जमीन के बदले नौकरी मामले में लालू, तेजस्वी, तेज प्रताप समेत 8 आरोपियों की पेशी हुई। इसमें अखिलेश्वर सिंह, हजारी प्रसाद राय, संजय राय, धर्मेंद्र सिंह और किरण देवी शामिल थे। इससे पहले ईडी ने मामले में पूरक आरोप पत्र दायर किया था। इसके आधार पर कोर्ट ने तीनों को समन भेजा था। लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों पर रेलवे में नौकरियों के बदले जमीन के रूप में अवैध लाभ अर्जित करने का आरोप है।

दरअसल, मामला 2004 से 2009 तक लालू के रेल मंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में ग्रुप-डी की नियुक्तियों से संबंधित है। आरोप है कि राजद सुप्रीमो के परिवार और सहयोगियों के नाम पर नियुक्तियां उपहार में दी गईं या हस्तांतरित की गईं भूमि के बदले में की गई थी।

तेज प्रताप यादव पहली बार कोर्ट में पेश हुए
बता दें कि मामले में तेज प्रताप यादव पहली बार कोर्ट में पेश हुए। अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि अदालत को प्रथम दृष्टया और समन के चरण में आवश्यक जांच के मानक के मद्देनजर यह निष्कर्ष निकालने के लिए बाध्यकारी आधार मिलता है कि तेज प्रताप यादव भी अधिग्रहण और अपराध की आय को छिपाने में शामिल थे।

लालू यादव व्हीलचेयर पर नजर आए
इससे पहले रविवार को लालू प्रसाद यादव के साथ उनकी बेटी रोहिणी और मीसा भारती भी दिल्ली पहुंची थीं। इस दौरान लालू यादव व्हीलचेयर पर नजर आए थे। ईडी ने लालू प्रसाद यादव पर अपराध अर्जित आय को छिपाने एवं उसका अन्य कार्यों में इस्तेमाल का आरोप लगाया है। ईडी का कहना है कि रेलवे मंत्री के रूपमें कार्यकाल के दौरान लालू यादव मुख्य रूप से पटना के महुआ बाग में जमीन मालिकों को रेलवे में नौकरियां देने के वादे के साथ कम कीमत पर अपनी जमीन बेचने के लिए मजबूर किया था।