जिले में मत्स्य पालन व्यवसाय के विकास में मत्स्य बीज प्रक्षेत्र बसदेई दे रहा अप्रतिम योगदान

जिले में मत्स्य पालन व्यवसाय के विकास में मत्स्य बीज प्रक्षेत्र बसदेई दे रहा अप्रतिम योगदान

September 19, 2024 Off By NN Express

सूरजपुर । मत्स्य पालन ऐसा व्यवसाय है, जिसे बहुत ही कम लागत के साथ प्रारंभ कर बेहतर आय प्राप्त की जा सकती है। मत्स्य पालन व्यवसाय से जुडकर लोग न केवल अपने आर्थिक स्तर को उन्नत कर सकते हैं, बल्कि समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन भी कर सकते हैं। इसी मत्स्य पालन व्यवसाय को जिले में एक उद्योग के रूप में विकसित करने की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा वर्ष 2017-18 में जिला खनिज संस्थान न्यास निधि मद से मत्स्य बीज प्रक्षेत्र बसदेई में निर्माण कार्य एवं जीर्णोद्धार कार्य किया गया। जिससे इस प्रक्षेत्र से निरतर मत्स्य बीज उत्पादन का कार्य किया जा रहा है।

जिला प्रशासन की ओर से सूरजपुर क्षेत्र में एक अच्छे मत्स्य बाजार की संभावना को देखते हुए इसे विकसित करने की दिशा में कार्य प्रारंभ किया गया। इसके अंतर्गत मत्स्य विभाग की ओर से मछली पालन व्यवसाय से लोगों को जोड़कर स्वरोजगार शुरू करने के लिए काउन्सलिंग की जाती है। जिससे लोग मत्स्यपालन की दिशा में आकर्षित हो रहे हैं। कम पढे लिखे होने के कारण ज्यादातर लोग परम्परागत ढग से मछली पालन का व्यवसाय करते हैं, परंतु जिला प्रशासन की पहल पर मछली उत्पादन में तकनीकी सहायता के साथ उच्च गुणवत्ता का मत्स्य बीज भी प्रदान किया जा रहा है।

गौरतलब है कि सूरजपुर जिले में मछली पालन के लिए भरपूर जलक्षेत्र उपलब्ध है। जिसमे सिंचाई जलाशय, ग्रामीण तालाब एवं नदियां सम्मिलित हैं। जिले में कुल 59 सिंचाई जलाशय है जिसका जलक्षेत्र 896.64 हे. जिसमें से 39 सिंचाई जलाशय जलक्षेत्र 769.805 हेक्टेयर तथा 1759 ग्रामीण तालाब जलक्षेत्र 1084.175 हे. है, जिसमें से 1434 ग्रामीण तालाब जलक्षेत्र है। इस प्रकार वर्तमान में 974.404 हे. क्षेत्र को मत्स्यपालन अंतर्गत लाया जा चुका है। जिसमें 150 किलोमीटर लंबाई  के साथ 3 प्रमुख नदियों का क्षेत्र भी सम्मिलित है।

जिले में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का भी सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत अब तक विभिन्न घटकों के साथ 130 कृषकों को लाभान्वित किया जा चुका है। जिससे मछली उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि होने के साथ मछुआरों और मत्स्य कृषकों की आय को दुगुना करने एवं रोजगार सृजन करने में मदद मिली है। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने एवं आर्थिक भार में कमी लाने के लिए 619 मत्स्य कृषकों का क्रेडिट कार्ड तैयार करके बैंको में स्वीकृति के लिए प्रेषित किया गया।

वर्तमान में मत्स्य उत्पादकता पर नजर डालें तो सूरजपुर जिला मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है। जिले में वर्तमान में 410 लाख एम बी स्पान का उत्पादन एवं 80लाख स्टैंडर्ड फ्राई का उत्पादन किया जा रहा है। जिससे न केवल सूरजपुर जिले को बल्कि पड़ोसी जिले सरगुजा, कोरिया और बलरामपुर को भी उसके मांग के अनुसार एम बी उपलब्ध कराया जाता है। जिले में 24 पंजीकृत मछुआ सहकारी समिति 550 सदस्यों के साथ, 65 स्व सहायता समूह 600 सदस्यों के साथ मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़े हैं। व्यक्तिगत मत्स्य पालक पर नजर डालें तो जिले के 1750 हितग्राही मनरेगा योजनांतर्गत निर्मित डबरियों और अमृतसर तालाबों के माध्यम लाभान्वित हो रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान के साथ फिंगर लिंग मत्स्य बीज वितरण किया जा रहा है। मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़कर आज जिले के लोग अच्छा मुनाफा कमा कर न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हुए है बल्कि उनके जीवन स्तर में भी काफी सुधार आया है।

इस प्रक्षेत्र की क्षमता को देखते हुए यदि प्रक्षेत्र के सर्कुलर हैचरी का पूर्ण उपयोग किया जाये तो 500.00 लाख स्पान का उत्पादन व 200.00 लाख स्पान का संवर्धन एवं 88.00 लाख स्टैण्डर्ड फ्राई का उत्पादन किया जा सकता है। जिससे स्थानीय मत्स्य पालकों को उनकी मांग अनुसार 50 प्रतिशत अनुदान पर स्थानीय स्तर पर उच्च कोटि का मत्स्य बीज उपलब्ध कराया जा सकता है। इससे जिले में मत्स्य उत्पादन में तो वृद्धि होगी ही साथ ही स्थानीय स्तर पर मत्स्य पालन से बडी संख्या में स्वरोजगार भी उपलब्ध कराया जा सकेगा।