अहंकार की मृत्यु पर ही सत्य की विजय है : रोहित जैन शास्त्री

अहंकार की मृत्यु पर ही सत्य की विजय है : रोहित जैन शास्त्री

September 10, 2024 Off By NN Express

(कोरबा) अहंकार की मृत्यु पर ही सत्य की विजय है : रोहित जैन शास्त्री
कोरबा : “क्षमा के समान मार्दव धर्म भी आत्मा का स्वभाव है। मार्दव स्वभावी आत्मा के आश्रय से आत्मा में जो मन के अभाव रूप, शांति स्वरूम पर्याय प्रकट होती है। उसे भी मार्दव धर्म कहते हैं। मनुष्य जीवन में यदि हमने अपने आप को साधना में ढाल लिया तो जीवन सार्थक एवं उपयोगी बन जाता है।
उक्त सार गर्भित कथन श्रमण संस्कृति संस्थान किशनगढ़ जयपुर, राजस्थान से पधारे प्रवचनकार रोहित जैन शास्त्री ने पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन अपने प्रवचन में कही। दिगंबर जैन मंदिर में जैन धर्मावलंबियों का पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व बड़े भक्ति भाव के मनाया जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि मृदुता का नाम मार्दव है। मान कषाय के कारण, आत्म स्वभाव में विद्यमान कोमलता का अभाव हो जाता है और उसमें एक अकड़ उत्पन हो जाती है। मान कषाय के कारण मानी अपने को बड़ा और दूसरे को छोटा समझने लगता है। उसमें समुचित विनय का भी अभाव हो जाता है। मान के खातिर वह छल-कपट करता है। मान भंग होने पर यह क्रोधित हो उठता है। सम्मान प्राप्ति के लिए वह कुछ भी करने को तैयार रहता है। मार्दव धर्म में आज मैं को हटाने का दिन है मान का प्रवचन सरल है। परंतु उसे छोड़ना अत्यंत कठिन है। अहंकार की मृत्यु पर ही सत्य की विजय है। आज का मानव आकार की कठपुतली बन गया है। उन्होंने कहा कि मार्दव धर्म को यदि पालन करना है या उतरना है तो नम्र होना आवश्यक है। बीज अपना अस्तित्व मिटता है, तभी वह वृक्ष बनता है। मार्दव धर्म अहंकार और मान को विसर्जित करने का तरीका है।
जैन मंदिर पर ध्वज लगाने मे वीरेंद्र नारद, रेनू नारद, नेमीचंद जैन, के.पी. जैन, राजीव सिंघई, साधना, मंजू आशा, संजय जैन, राजेश, वंदना, सौरभ नारद मुकलेश, कल्पना, रेनू भागचंद जैन, सुनील ज्योति जैन, तथा शीलचंद जैन, अंतिम अजीत लाल जैन ने सहयोग किया।