एमआरयू के वैज्ञानिकों की टीम ने एक हासिल की महत्वपूर्ण उपलब्धि

एमआरयू के वैज्ञानिकों की टीम ने एक हासिल की महत्वपूर्ण उपलब्धि

September 3, 2024 Off By NN Express

विकसित किया कोविड-19 की गंभीरता का अनुमान लगाने वाला बायोमार्कर किट

रायपुर । देश में स्वास्थ्य अनुसंधान को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय, रायपुर में स्थित मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू) के वैज्ञानिकों की टीम ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। टीम ने एक ऐसा बायोमार्कर किट (Prognostic Biomarker Kit) विकसित किया है, जो कोविड-19 संक्रमण की गंभीरता का प्रारंभिक चरण में ही सटीक अनुमान लगा सकता है। इस शोध के परिणाम हाल ही में प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए हैं, जो नेचर प्रकाशन समूह के तहत प्रकाशित होती है।

महामारी के दौरान अहम खोज
महामारी की शुरुआत में, जब देशभर के वैज्ञानिक कोविड-19 डायग्नोस्टिक किट पर काम कर रहे थे, एमआरयू के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जगन्नाथ पाल और उनकी टीम ने इस महामारी के प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दे की दिशा में काम शुरू किया। इस किट के माध्यम से शुरुआती चरण में ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किस मरीज को गंभीर इलाज की आवश्यकता होगी, जिससे संसाधनों का सही उपयोग हो सकेगा।



तीन साल के शोध का परिणाम
डॉ. पाल के नेतृत्व में तीन वर्षों के अथक परिश्रम से इस बायोमार्कर किट का विकास हुआ। इस किट का परीक्षण क्यू पीसीआर (Quantitative PCR) आधारित तकनीक से किया गया, जिसकी संवेदनशीलता 91% और विशेषता 94% पाई गई। इस शोध कार्य में डॉ. योगिता राजपूत और अन्य बहु-विषयक वैज्ञानिकों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
इस शोध परियोजना में अम्बेडकर अस्पताल, पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय और हार्वर्ड (डाना फार्बर) कैंसर संस्थान, यूएसए के डॉक्टर शामिल थे। इस परियोजना को आईसीएमआर और छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य विभाग का समर्थन भी मिला।

पेटेंट और भविष्य की संभावनाएं
डॉ. पाल के इस आविष्कार को भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के लिए आवेदन किया गया है। अमेरिका की पेटेंट सर्च एजेंसी ने इस आविष्कार के संभावित व्यावसायिक महत्व को पहचानते हुए सकारात्मक रिपोर्ट दी है, जो इसे वैश्विक स्तर पर निर्यात का अवसर प्रदान कर सकती है। यह उपलब्धि प्रधानमंत्री के “मेक इन इंडिया” अभियान को भी समर्थन प्रदान करती है और यह साबित करती है कि सीमित संसाधनों में भी बड़े आविष्कार संभव हैं।

पं. जे.एन.एम मेडिकल कॉलेज द्वारा विकसित यह किट न केवल देश की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करेगी, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा बाजार में भी अपनी पहचान बना सकेगी।