B.E. कर छत्तीसगढ़ मटपरई भित्ति शिल्पकला को नए अयाम दे रहे अभिषेक

B.E. कर छत्तीसगढ़ मटपरई भित्ति शिल्पकला को नए अयाम दे रहे अभिषेक

November 3, 2022 Off By NN Express

रायपुर, 03 नवम्बर I मटपरई भित्ति शिल्प कला के प्रति जागरूकता जरूरी है। इससे वे अपनी संस्कृति से भी जुड़ेंगे। अपने अंदर के हुनर को निखारने का अवसर भी मिलेगा। ये बातें पुराना बस स्टैंड डुमरडीह निवासी अभिषेक सपन ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य एवं राजोत्सव 2022 के आयोजन स्थल में लगे स्टाल में कही। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रदर्शनी से लोगों में भी कला सीखने की ललक जागती है।

उनके अंदर भी जागरूकता आयेगी और वे इस क्षेत्र में भी रोजगार पा सकेंगे। उन्होंने बताया कि वे बीई किए है, वे अपने पूर्वजों द्वारा बताए गए शिल्पकला को सहेजने का प्रयास कर रहे है। इसे वे अपने जीवन में रोजगार के रूप में भी अपना रहे हैं। आगे चलकर भी इसी दिशा में वे काम करेंगे।

विलुप्त हो चुकी कला को जीवंत कर रहे

अभिषेक सपन छत्तीसगढ़ के एकमात्र कलाकार है, जिन्होंने विलुप्त हो चुकी मटपरई कला को जीवंत कर मटपरई कला को बना रहे है तथा जनमानस तक पहुँचने की कोशिश कर रहा है। मटपरई कला के माध्यम से छत्तीसगढ़ की संस्कृति लोकनृत्य, लोककथा, लोककहानी, लोक परंपरा, तीज त्यौहारो, पशु पक्षी, देवी देवताओं की कृति अपनी कल्पनाशीलता से बना रहा है।

ऐसे तैयार करते है “मटपरई भित्ति शिल्पकला”

मट-मिट्टी, परई कागज व खल्ली की लुगदी। सभी को वस्तुओं सड़ा कर बनाई गई कला मटपरई कला कहलाती है। छत्तीसगढ़ की प्राचीन कला है, जिसे बड़े बुजुगों द्वारा बनायी जाती थी। परंतु वर्तमान में ये कला विलुप्त हो गई है। हमारी युवा पीढ़ी छत्तीसगढ़ की कला व संस्कृति को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर में पहुँचाने का प्रयास कर रहे है।

राज्योत्सव में मिल रहा बेहतर प्रतिसाद

विलुप्त हो रही कला कृति को राज्योत्सव के मौके पर लोग देखकर खुश हो रहे है। ऐसे कला को लोग जनाने के लिए उत्सुक नजर आ रहे है।