अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन करने वालों को झटका, तीनों पहुंचे थे High Court..

अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन करने वालों को झटका, तीनों पहुंचे थे High Court..

August 25, 2024 Off By NN Express

बिलासपुर,25 अगस्त । अनुकम्पा नियुक्ति को लेकर हाई कोर्ट में लगाई गई तीन अलग-अलग याचिकाओं को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि परिवार के मुखिया की मौत के बाद परिवार के सामने आने वाला आर्थिक संकट या गरीबी अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए तय बुनियादी मापदंड हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि इसके अलावा अनुकंपा नियुक्ति के लिए अधिकार के तौर पर दावा नहीं किया जा सकता.

रतनपुर में रहने वाले रामाधार तिवारी की पत्नी ने पति की मौत के बाद छोटे बेटे को अनुकम्पा नियुक्ति देने की मांग करते हुए याचिका लगाई गई. जिसमें कहा गया, कि उनके पति पुलिस विभाग में सहायक उप निरीक्षक के पद पर कार्यरत थे. 20 अगस्त 2007 को सेवा के दौरान उनकी मौत हो गई. जिसके बाद उनकी पत्नी ने अपने छोटे बेटे दीनानाथ तिवारी को अनुकंपा नियुक्ति के लिए अक्टूबर और दिसंबर 2007 में बिलासपुर एसपी को आवेदन दिया. अगस्त 2012 में आवेदन को खारिज कर दिया गया. इसके लिए आधार बताया गया कि दीनानाथ के बड़े भाई केदारनाथ शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के पद पर कार्यरत हैं. इस फैसले को चुनौती देते हुए 2014 में याचिका लगाई. कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी.

इसी तरह बैकुंठपुर के रहने वाले यश मिश्रा को पिता की मौत के बाद अनुकम्पा नियुक्ति दी गई थी. उनकी मां सुनीता मिश्रा व्याख्याता थीं. वर्ष 2018 में मां के सरकारी नौकरी में रहने के आधार पर विभाग ने उन्हें सेवामुक्त कर दिया. जिसे लेकर हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई. यश ने अपने आवेदन में बताया था कि पिता की मौत के दौरान वह भिलाई में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था. पिता को ब्रेन कैंसर था. उनके इलाज में पूरी रकम खर्च हो गई. पिता की मौत के बाद पढ़ाई छोड़कर अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. कोर्ट ने सुनवाई के बाद उनकी याचिका खारिज कर दी.

कांकेर के रहने वाली सुमन के पिता राममूर्ति शर्मा ग्रामीण स्वास्थ्य संगठक के पद पर कार्यरत थे. जून 2019 में उनकी मौत हो गई, जिसके बाद सुमन ने जुलाई 2019 में राजनांदगाव के सीएमएचओ दफ्तर में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया. उनके भाई रमन शर्मा के कांकेर के गवर्नमेंट स्कूल में शिक्षाकर्मी वर्ग-1 बॉयोलॉजी के पद कार्यरत होने के आधार पर आवेदन खारिज कर दिया गया, जिसे लेकर उन्होंने कोर्ट में याचिका लगाई थी, लेकिन सुनवाई के बाद उनकी याचिका खारिज कर दी गई