नेशनल स्पेस डे: चंद्रयान-3 से ISRO ने आज के दिन ही रचा था इतिहास…जानिए एक साल में हमें मून मिशन से क्या मिला

नेशनल स्पेस डे: चंद्रयान-3 से ISRO ने आज के दिन ही रचा था इतिहास…जानिए एक साल में हमें मून मिशन से क्या मिला

August 23, 2024 Off By NN Express

चंद्रयान-3 की बदौलत ही भारत आज अपना पहला स्पेस डे यानी राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मना रहा है. भारत के इस महत्वाकांक्षी मिशन को आज एक साल पूरा हो चुका है. बीते एक साल में इस मून मिशन की बदौलत भारत ने ऐसी कई खोजें की हैं, जो दुनिया के बाकी देश नहीं कर सके. स्पेस मिशन में भारत की सफलता का ये क्रम अभी थमा नहीं है. चंद्रयान-3 के बाद भारत चंद्रयान-4 की तैयारी में भी जुट गया है. इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने खुद इसकी पुष्टि की है.

क्या था चंद्रयान-3 मिशन?


यह भारत का तीसरा मून मिशन था. इसीलिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने इसे चंद्रयान-3 नाम दिया था. इससे पहले भारत 2008 में चंद्रयान-1 लांच कर चुका था. यह मिशन सफल रहा था और भारत चंद्रमा की ऑर्बिट तक पहुंचने में सफल रहा था. इसके बाद अगला चरण चंद्रमा पर लैंडिंग ही था. भारत ने चंद्रयान-2 से 2019 में इस सपने को साकार करने का प्रयास किया, लेकिन चांद की सतह से कुछ दूरी पर ही लैंडर विक्रम का लैंडिंग साइट से संपर्क टूट गया और यह मिशन अधूरा रह गया था. लगातार चार साल के अथक परिश्रम के बाद 14 जुलाई 2023 को भारत ने अपना तीसरा मून मिशन लांच किया. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इसकी लैंडिंग के लिए 23 अगस्त की तारीख चुनी गई. आखिरकार सपना सच हुआ और दुनिया भर की स्पेस एजेंसीज ने ISRO का लोहा माना.

चंद्रयान-3 से हमें क्या मिला?

23 अगस्त को लैंडिंग के बाद विक्रम लैंडर के साथ गए रोवर प्रज्ञान ने चांद पर रिसर्च शुरू कर दी थी. यह मिशन 14 दिन का था, जिसमें प्रज्ञान ने खोजा कि दक्षिणी ध्रुव के पास इलेक्ट्रिकली चार्ज्ड प्लाज्मा की मोटी परत मिली थी. इसके अलावा भी चंद्रयान-3 ने कई अहम खोजें की थीं.

  1. चांद का तापमान: विक्रम लैंडर में तापमान जांचने वाला ऐसा उपकरण लगा था जो चांद की सतह से 10 सेंटीमीटर से नीचे तक जा सकता था. इसके माध्यम से पता चला कि चांद की सतह का जो तापमान होता है, उसकी तुलना में सतह के अंदर का तापमान तकरीबन 60 डिग्री सेल्सियस तक कम होता है.
  2. चांद पर आते हैं भूकंप: विक्रम लैंडर ने यह भी पता लगाया था कि चांद पर लगातार भूकंप आते हैं, वैज्ञानिकों का मानना था कि या तो यह हल्का भूकंप है या फिर किसी उल्का पिंड की वजह से चांद पर कंपन हुआ है.
  3. सल्फर की मौजूदगी: विक्रम लैंडर के साथ चांद की सतह पर गए प्रज्ञान रोवर ने दक्षिणी ध्रुव पर सल्फर की मौजूदगी कंफर्म की थी. इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबिक चांद की सतह पर सल्फर ही नहीं बल्कि सिलिकॉन, आयरन, कैल्शियम और एल्युमिनियम भी मिला था.