सरगुजा का राजू: उत्पाती हाथी से बना जंगल का रखवाला

सरगुजा का राजू: उत्पाती हाथी से बना जंगल का रखवाला

August 12, 2024 Off By NN Express

रायपुर । आज विश्व हाथी दिवस है, आज के दिन हाथी संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र-राज्य सरकार कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं। आज का दिन हमें यह बताता है कि हाथी हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। हाथियों के तो कई किस्से हैं, कुछ मजेदार, कुछ भावुक तो कुछ हैरान कर देने वाले। आज हम आपको जो किस्सा बताने जा रहे हैं, वो किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। हम बात कर रहे हैं सरगुजा के कुमकी हाथी राजू और उसके परिवार की। कभी उत्पात मचाने वाला यह हाथी अब जंगल का पहरेदार बन चुका है, और उसकी चिंघाड़ से न केवल जंगली हाथी दूर रहते हैं, बल्कि लकड़ी तस्कर भी उससे खौफ खाते हैं।

राजू की कहानी: जंगली हाथी से बना ‘कुमकी’ हाथी
करीब 11 साल पहले राजू एक सामान्य जंगली हाथी था, जो राजनांदगांव के जंगलों में उत्पात मचा रहा था। वन विभाग की टीम ने उसे बड़ी मशक्‍कत के बाद पकड़ा और उसे प्रशिक्षण के लिए रखा गया। राजू को विशेष प्रशिक्षण देकर ‘कुमकी’ हाथी बनाया गया। ‘कुमकी’ हाथी कोई प्रजाति नहीं, बल्कि वे हाथी होते हैं जो विशेष रूप से प्रशिक्षित होते हैं और जंगली जानवरों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। एक तरह से कहें तो कुमकी हाथी न केवल जंगली जानवरों को घने वानों में वापस भेजने की कला जानते हैं बल्कि अपने महावत के हर इशारे को समझते हैं और जंगल में विषम परिस्थितियों का सामना करने के काबिल होते हैं।

राजू का नया जीवन: सरगुजा के जंगलों का रखवाला
कुछ साल पहले, राजू को सरगुजा क्षेत्र के अचानकमार टाइगर रिजर्व के सिंहावल में स्थानांतरित किया गया, जहां उसकी दोस्ती लाली नाम की हथिनी से हुई। आज राजू और लाली के दो बच्‍चे भी हैं—बड़ा बेटा सावन और छोटा बेटा फागू। राजू अपने महावत शिवमोहन राजवाड़े के साथ जंगल की गश्त करता है, लाली और सावन भी उनके साथ रहते हैं। फागू अभी छोटा है, इसलिए उसे कैंप में ही रखा जाता है। राजू और लाली के परिवार के लिए जंगल में कैंप की स्‍थापना की गई है। जहां सौर ऊर्जा से चलने वाला मोटर पंप, तीन शेड, मेडिकल किट और महावत के परिवार के लिए आवास की व्यवस्था है।

लकड़ी तस्‍करों में राजू का खौफ
राजू की सबसे बड़ी खासियत उसकी सतर्कता है। लकड़ी की तस्‍करी करने वालों में राजू का जबरदस्‍त खौफ है। आरी और टांगी की हल्‍की सी आवाज सुनते ही राजू तस्‍करों की ओर चिंघाड़ते हुए दौड़ पड़ता है, जिससे तस्कर भाग खड़े होते हैं। राजू अब तक 100 से अधिक तस्करों की साइकिलें जब्त कर चुका है और महावत को सौंप दी हैं।

राजू का परिवार और भविष्य
राजू का बड़ा बेटा सावन भी अब ‘कुमकी’ हाथी बनने की राह पर है। राजू और उसके परिवार को पालतू बनाए रखने के लिए विशेष भोजन और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच की जाती है। राजू न केवल जंगल की निगरानी करता है, बल्कि घायल अवस्था में मिले अन्य जानवरों की भी देखभाल करता है।

छत्तीसगढ़ के इस ‘कुमकी’ हाथी राजू की कहानी वन्यजीव संरक्षण के महत्व को रेखांकित करती है, और यह दिखाती है कि सही प्रशिक्षण और देखभाल से जंगली जानवर कैसे जंगल के संरक्षक बन सकते हैं।