भारतीय विवाह उद्योग: 10 लाख करोड़ का विशाल बाजार

भारतीय विवाह उद्योग: 10 लाख करोड़ का विशाल बाजार

June 30, 2024 Off By NN Express

खानपान के बाद शादी में सबसे ज्यादा खर्च करते हैं भारतीय

नई दिल्ली। भारतीय विवाह उद्योग का आकार लगभग 10 लाख करोड़ रुपये है, जो खाद्य और किराना के बाद दूसरे स्थान पर है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए कहा गया कि आम हिंदुस्तानी शिक्षा की तुलना में विवाह समारोह पर दोगुना खर्च करते हैं। भारत में सालाना 80 लाख से एक करोड़ शादियां होती हैं, जबकि चीन में 70-80 लाख और अमेरिका में 20-25 लाख शादियां होती हैं।

ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारतीय विवाह उद्योग अमेरिका (70 अरब अमेरिकी डॉलर) के उद्योग के आकार का लगभग दोगुना है। हालांकि, यह चीन (170 अरब अमेरिकी डॉलर) से छोटा है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में खपत श्रेणी में शादियों का दूसरा स्थान है। यदि शादी एक श्रेणी होती, तो वे खाद्य और किराना (681 अरब अमेरिकी डॉलर) के बाद दूसरी सबसे बड़ी खुदरा श्रेणी होती।

भव्यता और खर्च
भारत में शादियां भव्य होती हैं और इनमें कई तरह के समारोह और खर्च होते हैं। इससे आभूषण और परिधान जैसी श्रेणियों में खपत बढ़ती है और अप्रत्यक्ष रूप से ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को लाभ मिलता है। खर्चीली शादियों पर अंकुश लगाने के प्रयासों के बावजूद, विदेशी स्थानों पर होने वाली आलीशान शादियां भारतीय वैभव को प्रदर्शित करती रहती हैं।

शादी की संख्या और आर्थिक प्रभाव
जेफरीज ने कहा, “हर साल 80 लाख से एक करोड़ शादियां होने के साथ, भारत दुनिया भर में सबसे बड़ा विवाह स्थल है। कैट के अनुसार इसका आकार 130 अरब अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है। भारत का विवाह उद्योग अमेरिका के मुकाबले लगभग दोगुना है और प्रमुख उपभोग श्रेणियों में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।” भारतीय शादी कई दिनों तक चलती हैं और साधारण से लेकर बेहद भव्य तक होती हैं। इसमें क्षेत्र, धर्म और आर्थिक पृष्ठभूमि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

शिक्षा बनाम विवाह खर्च
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत में विवाह पर शिक्षा (स्नातक तक) की तुलना में दोगुना खर्च किया जाता है, जबकि अमेरिकी जैसे देशों में यह खर्च शिक्षा की तुलना में आधे से भी कम है।

भारतीय विवाह उद्योग का यह विशाल आकार और इसमें होने वाला खर्च देश की संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक मान्यताओं का प्रतिबिंब है। यह उद्योग न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक धरोहर का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है।