चिकित्सकों को कलम और कैमरों का शिकार न बनाएं

चिकित्सकों को कलम और कैमरों का शिकार न बनाएं

June 28, 2024 Off By NN Express

मानवीय समाज में ऐसा कोई पेशा नहीं जिसे कमतर आंका जा सके । हर पेशा अपनी महत्ता जरूरत पर सिद्ध कर दिखाता है । हम मानवों के बीच एक ऐसा पेशा भी है , जिसे सभी पेशों से अलग और अत्यंत ही जिम्मेदार आना माना जा सकता है । जी ! हां ! मैं बात करना चाहता हूं , हमारे मानवीय समाज के ऐसे ही पेशे से जुड़े डॉक्टर्स की । मैने अनुभव किया है , लंबे और तनावपूर्ण काम के घंटे , डॉक्टर्स की नौकरी और मरीजों के प्रति उनके जुनून को जो उन्हें अधिक जवाबदार श्रेणी में ला खड़ा करते हैं । यह भी देखा जा रहा है कि डॉक्टर्स को खुद के लिए खाली समय निकालने में अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ता है ।

कारण यह कि उन्हें महत्वपूर्ण चिकित्सा देखभाल और मरीजों को उपचार प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है । यही कारण है कि अवकाश , विश्राम और परिवार के लिए समय देने में उनका पेशा उन्हें सीमित करता रहा है । एक डॉक्टर को अपनी दिनचर्या में चुनौतियों को शामिल करना अन्य पेशे की तुलना में सामान्य काम होता है ! दिनभर ड्यूटी पूरी करने के बाद घर पर कुछ देर आराम से बैठे डॉक्टर की वह इच्छा जिसमे वह अपनी थकान मिटाना चाहता है , उस समय धूल धूसरित हो जाती है , जब आपातकालीन बुलावा आ जाता है ।

ऐसी स्थिति में एक समर्पित डॉक्टर की थकान यह सोचते हुए स्वमेव दूर हो जाती है कि किसी को उसकी जरूरत है । बीमार व्यक्ति का इलाज कर डॉक्टर उसे जब सामान्य हालत में ले आता है ,तब परिजनों की तुलना में डॉक्टर को जो सुकून मिलता है उसका उल्लेख नहीं किया जा सकता है ।
हमें यह स्वीकार करने में तनिक भी संकोच नहीं होना चाहिए कि घर पर मौजूद डॉक्टर के पास चैन से सोने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता है ।

अपने पेशे के अनुसार डॉक्टर काम और जीवन के बीच संतुलन बनाने में माहिर होते है ! वे यह भी समझते हैं कि खुद की देखभाल उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है । चिकित्सकीय पेशे में बीमारियों से लड़ने के लिए बन रही नई दवाइयों के प्रति लचीला और प्रतिबद्ध बने रहने के लिए डॉक्टर्स को अपने व्यस्त शेड्यूल में से समय निकालने की जरूरत उनके पेशे का हिस्सा मानी जानी चाहिए । भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक तनाव भी अहम कारक है जो चिकित्सक के जीवन को प्रभावित करता है । मरीजों की गंभीर स्थिति चिकित्सक को भी नींद नहीं लेने देती और दयनीय स्थिति में ला देती है ! बावजूद इसके भावनात्मक संतुलन की आदत के द्वारा डॉक्टर स्थिति को नियंत्रण में बनाए रखने में सक्षम होते हैं ! डॉक्टर का यही समन्वय उसे बीमारी से अच्छी तरह लड़ने की प्रेरणा प्रदान करता है और वह रात – दिन मरीज के स्वास्थ्य के लिए जूझता रहता है । चिकित्सा घटनाओं की अनिश्चितता के चलते डॉक्टर आम तौर पर अपनी 8 से 10 घंटे की शिफ्ट के बाद मरीजों का परीक्षण करते थकान का अनुभव नहीं करते हैं । एक डॉक्टर का काम उन्हें अन्य पेशे से अलग दिखाता है । यदि एक डॉक्टर अपने परिवार के साथ सैर – सपाटे पर है तब भी वह अपने मरीजों को फोन कॉल पर सलाह देकर उनका इलाज करता है !
 डॉक्टर को उसके द्वारा दी जा रही सेवा के लिए उसके मरीज अथवा परिवार द्वारा उपहार भी दिए जाते हैं । इन उपहारों का स्वरूप अन्य अवसरों पर दिए जाने वाले उपहारों से पृथक होता है । जब एक गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति पूर्ण स्वस्थ होकर अपने घर लौटता है , तब उन परिवारों द्वारा डॉक्टर को धन्यवाद और कृतज्ञता के रूप में जो टिप्स प्राप्त होते हैं वे किसी बड़े तोहफे से कम नहीं होते ! यही तोहफे उन्हें अधिक सेवा के प्रति ऊर्जा प्रदान करते हैं । हर एक बार जब कोई डॉक्टर किसी जटिल बीमारी के इलाज का जिम्मा लेता है तो उसके पेशेवर विकास के अवसर उसके भविष्य के दरवाजे पर दस्तक देते दिखाई पड़ते हैं ! इस तरह की चुनौती डॉक्टर के पेशे को विकसित करने और उसमे गुणवत्ता हासिल करने के लिए जरूरी समझी जानी चाहिए । वास्तव में गंभीर रूप से चिंतन किया जाए तो चिकित्सकीय पेशा सम्मान का हकदार है । हम कह सकते हैं कि चिकित्सक हमारे देश की सबसे बड़ी स्पत्ति हैं ।

कारण यह कि पूरा मानवीय समाज उनकी सेवाओं पर ही निर्भर है ।
हम और हमारा समाज इस बात को जानता है कि वर्तमान में चिकित्सक के पेशे को लेकर किंतु – परंतु वाली स्थिति सामने आती रही है । एक सफल अथवा समर्पित चिकित्सक उसे ही माना जाता है जो अपने मरीज की समस्याओं को सुने और उस पर चिंतन करे । मरीज के लक्षणों के आधार पर इलाज का मार्ग तलाशना भी अच्छे चिकित्सक की पहचान माना जाता है । एक डॉक्टर जो अभी – अभी अपना पेशा शुरू कर रहा है उसके लिए मैं यही कहना चाहता हूं – ” हर कदम पर आपके फैसलों पर सवाल उठाए जायेंगे ।

यह एक डॉक्टर के जीवन में बड़ी निराशा होगी कि उनके पेशेवर जीवन में हर दिन उनके इरादों पर सवाल उठाए जाते रहें ! अनेक बार ऐसी भी स्थिति आती है जब मरीज और डॉक्टर के बीच तनाव कायम हो जाते हैं । मामला यहां तक पहुंच जाता है कि डॉक्टर को अदालत के कटघरे में खड़ा होना पड़ता है ! डॉक्टर के सिर पर लटकी इस तरह की तलवार को मैं सर्वथा अनुचित समझता हूं । कारण यह कि कोई भी चिकित्सक अपनी ओर से बीमार व्यक्ति का बुरा नहीं चाहता क्योंकि उसका पेशा ऐसा है जो पीड़ित को राहत देने के साथ उसे बुलंदियों पर पहुंचाता है । हमारे देश में प्रायः डॉक्टर्स को बदनाम किया जाता है ! छोटी सी चूक हुई नहीं कि मीडिया अपने कैमरे और कलम लिए तैयार रहता है कि कैसे डॉक्टर को कटघरे में लाया जाए ।

बिना यह जानें और समझे कि त्रुटि डॉक्टर से हुई है या फिर स्वयं मरीज ने डॉक्टर की सलाह के परे अपनी स्थिति को बिगाड़ा है ? यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं कि मीडिया में शामिल कुछ लोग अपने विशेषाधिकार का दुरुपयोग कर कमरे में सबसे ऊंची आवाज बनने की कोशिश करते है ! मुझे आश्चर्य होता है कि लोग यह नहीं समझते कि डॉक्टर्स अराजकतावादी नहीं होते हैं ।

वे विरोध प्रदर्शन करने और लाठी चार्ज का सामना करने के बजाय मरीजों का इलाज करने में अधिक प्रसन्नता का अनुभव करते हैं । अपवाद कहां नहीं होते ? इतने बड़े चिकित्सा समाज में कुछ लोगों की लापरवाही अथवा अनदेखी की सजा पूरे कुनबे को देना कभी उचित नहीं कहा जा सकता है !