रायपुर: मेकाहारा के डॉक्टरों का कमाल, फ्रैक्चर रीढ़ को सुई से बोन सीमेंट डालकर जोड़ा

रायपुर: मेकाहारा के डॉक्टरों का कमाल, फ्रैक्चर रीढ़ को सुई से बोन सीमेंट डालकर जोड़ा

June 19, 2024 Off By NN Express

रायपुर । पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के रेडियोलॉजी विभाग ने राज्य में पहली बार नॉन हीलिंग वर्टेब्रल कम्प्रेशन फ्रैक्चर से पीड़ित 79 वर्षीय महिला की वेसलप्लास्टी कर रीढ़ की हड्डी के दर्द से निजात दिलाई। इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. (प्रो.) विवेक पात्रे के नेतृत्व में सुई की एक छेद के जरिये बोन फिलिंग बैलून कंटेनर सिस्टम के माध्यम से रीढ़ की हड्डी में बोन सीमेंट इंजेक्ट कर यह सफलता प्राप्त की गई। यह राज्य का पहला वेसलप्लास्टी उपचार है जो पिन होल तकनीक से किया गया।

वर्टेब्रल कम्प्रेशन: समस्या और उपचार

वर्टेब्रल कम्प्रेशन में रीढ़ की हड्डी टूट जाती है या दब जाती है। यह समस्या उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों के कमजोर होने पर अधिक आम होती है। इस प्रकार की समस्याएं स्पाइनल कैनाल को दबा सकती हैं जिससे लकवा भी हो सकता है।

प्रोसीजर की विस्तृत जानकारी
डॉ. विवेक पात्रे ने बताया कि वेसलप्लास्टी एक इमेजिंग-निर्देशित प्रक्रिया है। इसमें सबसे पहले उस स्थान को सुन्न किया जाता है, जहां वेसलप्लास्टी किया जाना है। फिर वहां मोटी सुई डाली जाती है और मेनुअल ड्रिल के जरिये वर्टेब्रल बॉडी में निश्चित स्थान पर जगह बनाई जाती है। इसके बाद, फ्लूरोस्कोपी एवं डीएसए मशीन की सहायता से बोन सीमेंट को बैलून कंटेनर के अंदर इंजेक्ट किया जाता है।

एकदम नई तकनीक
वेसलप्लास्टी एक नई तकनीक है। इससे पहले वर्टिब्रोप्लास्टी और काइफोप्लास्टी की जाती थी। वेसलप्लास्टी में, बैलून की छिद्रयुक्त संरचना के कारण सीमेंट का रिसाव एवं फैलाव नहीं होता है।

टीम और सहयोग
डॉ. विवेक पात्रे की टीम में न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष टावरी, एनेस्थेटिस्ट डॉ. प्रतिभा जैन एवं डॉ. वृतिका, रेजिडेंट डॉ. पूजा कोमरे, डॉ. मनोज मंडल, डॉ. प्रसंग श्रीवास्तव, डॉ. घनश्याम वर्मा, डॉ. लीना साहू, डॉ. नवीन कोठारे, डॉ. सौम्या, डॉ. अंबर, रेडियोग्राफर नरेश साहू, जितेंद्र प्रधान, नर्सिंग स्टाफ ऋचा एवं यश शामिल थे।

राज्य में इस पहली वेसलप्लास्टी की सफलता ने इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी के क्षेत्र में नई उम्मीद जगाई है। इस प्रक्रिया से न केवल मरीज को तुरंत राहत मिली बल्कि यह भी साबित हुआ कि अत्याधुनिक तकनीकें अब राज्य के अस्पतालों में भी संभव हैं।