छत्तीसगढ़: साय सरकार का नाम दर्ज हो गया इतिहास में
April 17, 2024किसी भी राज्य में सरकारे आती जाती रहती हैं, मुख्यमंत्री बदलते रहते हैं। हर सीएम को अपने समय में कोई बड़ा काम करने का मौका तो रहता ही है। कोई ऐतिहासिक काम करे का मौका तो रहता ही है। जो आज तक किसी ने नहीं किया ऐसा काम करने का मौका तो रहता ही है। बहुत कम सीएम होते हैं जो मौका मिलने पर ऐसा काम करके दिखाते हैं जिसे पहले किसी ने किया नहीं होता है। जिसे दूसरे नेता असंभव मानते थे, उसे वह करके दिखा दे, ऐसे नेताओं का नाम ही इतिहास में दर्ज होता है, बाकी नेताओं को काम को लोग याद नहीं करते हैं क्योंकि वह ज्यादातर ऐसे ही काम करते हैं जो सारे सीएम करते ही है। याद तो उसी काम को किया जाता है जो सब असंभव मानते थे और उसे कोई सीएम करके दिखा दे या उसके समय में किया जाए तो उस काम का श्रेय तो उस सीएम को मिलता है कि यह असंभव काम इस सीएम के समय हुआ था।
छत्तीसगढ़ के सीएम साय के समय एक साथ ३९ नक्सलियों को मारने का काम जवानों ने किया है, ऐसा काम तो दूसरे सीएम के समय भी संभव था लेकिन किसी सीएम के समय यह संभव नहीं हुआ। २९ नक्सलियों का मारने का काम तो जोगी के समय हो सकता था, रमन सिंह के समय हो सकता था, भूपेश बघेल के समय हो सकता था। नहीं हो सका क्योंकि तब उनको यह काम संभव ही नहीं लगता था। उन्होंने सोचा ही नहीं कभी कि एक साथ २९ नक्सलियों काे मारने का काम कैसे किया जा सकता है। नक्सलियों के सबसे सुरक्षित किले में घुसकर एक साथ २९ नक्सलियों काे मारना ऐतिहासिक सफलता है।
आज तक देश के किसी राज्य में एक साथ इतने नक्सलियों को जवानाें ने घेर कर मारा नहीं था।कांकेर जिले में नक्सलियों पर की गई यह सबसे बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक है। इससे पहले महाराष्ट्र के गढ़चिरौलाी में तीन साल पहले २७ नक्सिलयों को एक साथ मारा गया था। ओडिशा में एक साथ २४ नक्सलियों को मारा गया था।जहां तक छत्तीसगढ़ की बात है तो साय सरकार से पहले छत्तीसगढ़ में एक साथ आठ नक्सली मारे गए थे, इसके बाद साय सरकार के समय कुछ दिन पहले ही १३ नक्सली मारे गए हैं। साय के सयम ही १३ नक्सली एक साथ मारे जाने के बाद संकेत मिल रहे थे कि छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के सफाए की योजना पर काम शुरू हो गया है। गृहमंत्री अमित शाह ने अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान कहा था कि देश के ७० से ज्यादा प्रतिशत इलाकों से नक्सलियों का सफाया कर दिया गया है जो बचे हुए हैं, उनका भी सफाया दो तीन साल में कर दिया जाएगा।
अब जिस तरह नक्सलियों की घेराबंदी कर उनको मारा जा रहा है, उससे लगता है कि अमित शाह व सीएम साय की योजना पर अमल होना शुरू हो गया है। सीएम साय ने नक्सलियों से कहा था कि वह समर्पण करेंगे तो उनके लिए हर तरह की व्यवस्था की जाएगी नहीं करेंगे तो उनका सख्ती से सफाया कर दिया जाएगा। अब नक्सलियों के सफाए में आसानी इसलिए हो रही है कि बस्तर में कैंपों की संख्या बढ़ गई है और इतनी हो गई है कि वह नक्सलिलोयं पर भारी पड़ रहे हैं, ज्यादा कैंप होने से नक्सलियों की घेरेबंदा जल्दी संभव हो रही है तथा उनको भागने का मौका ही नहीं मिल रहा है। पहले बस्तर में कैंप दूर दूर थे, नक्सलियों के गढ़ में नहीं थे इससे नक्सली अपने इलाके में जवाानों को घेर कर मार देते थे और भाग जाते थे।
पहले नकसलियों की खबर भी आसानी से नहीं मिलती थी क्योंकि उऩका आतंक गांवों में था कैंप खुल जाने उनका आतंक कम हुआ है। उनके बड़े मूवमेंट की खबर भी मिल रही है और जल्दी मौके पर पहुंचना सड़क बन जाने से आसान हो गया है। यही वजह है कि अब जवान नक्सलियों की खबर मिलने पर उनको घेेरकर मारने में सफल हो रहे हैं। अबूझमाड तो वह इलाका है जहां जवान एक समय में जाते नहीं थे, वहां जाने का मतलब मारा जाना था। आज अबूझमाड़ में टाप नक्सील हिड़मा के गांव में कैंप खुल गया है। इससे नक्सलियों के मांद में घुसकर नक्सलियों को मारना संभव हो रहा है। १०२४ में अब तक ८० नक्सलियों को मारा जा चुका है। यह पिछले कई सालों में मारे गए नक्सलियों की बडी संख्या है जबकि अभी २४ के आठ महीने बाकी हैं।
डबल इंजन की सरकार रहने से यह फायदा होता है कि सीएम पीएम मिलकर कोई बड़ा
फैसला आपसी सहमति से कर सकते हैं। पीएम मोदी कहते हैं कि यह नया भारत है, यह घर में घुसकर मारता है। पीएम मोदी नेशलन लेबल पर यह काम कर रहे हैं तो साय के नेतृत्व में नक्सलियों काे उनके घर में घुसकर मारा जा रहा है। जब मजबूत नेतृत्व होता है तो बड़े फैसले भी होते है और बड़े काम भी होते हैं। पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करने से पीएम मोदी का नाम इतिहास में दर्ज हुआ था अब नक्सलियों पर सबसे बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक होने पर साय का नाम भी इतिहास में दर्ज हो गया है।